Saraswati Vidya Mandir

Arya Nagar (North) Gorakhpur

सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज हमारा लक्ष्य एवं उद्देश्य:

  • स्वच्छ, सुन्दर, आधुनिक साज-सज्जा से नवनिर्मित भवन।
  • सुयोग्य, संस्कारित आचार्यों द्वारा मनोवैज्ञानिक विधि से अध्यापन।
  • संस्कारमय वातावरण से दैनिक जीवन में दैनन्दिनी संस्कारों की उत्तम व्यवस्था।
  • नियमित, निर्धारित गृहकार्य की व्यवस्था।
  • क्रिया आधारित शिक्षण पर बल।
  • व्यवस्था प्रियता, नागरिकता, व्यक्तित्व शक्ति विकास हेतु छात्र/छात्रा संसद की व्यवस्था।
  • उत्तरदायित्व की भावना हेतु छात्र मंत्रिमंडल की रचना।
  • विषयों के व्यावहारिक ज्ञान हेतु संस्कार भारती का गठन।
  • सामाजिक, भौगोलिक, ऐतिहासिक, धार्मिक ज्ञानार्जन हेतु दर्शन (यात्राएं) शिविर एवं प्रदर्शनियों का आयोजन। प्रतिवर्ष विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन
  • शिक्षार्थ आइये, सेवार्थ जाइये की भावना को व्यावहारिक रूप देने हेतु असहाय एवं अशिक्षित समाज में सेवा के कार्यों का आयोजन।
  • मातृभूमि, संस्कृति, धर्म, परम्परा एवं महापुरूषों के सम्बन्ध में सम्यक् जानकारी हेतु संस्कृति ज्ञान परीक्षा।
  • आध्यात्मिक, वैज्ञानिक एवं आधुनिकतम साधनों द्वारा शारीरिक एवं योग प्रशिक्षण की व्यवस्था।
  • आधुनिक शिक्षा प्रणाली को ध्यान में रखते हुए स्मार्ट क्लास की व्यवस्था।
  • आचार्य, छात्र एवं अभिभावक में पारिवारिक समरसता एंव सत् परामर्श हेतु कक्षासः अभिभावक गोष्ठी का आयोजन।
  • लेखन प्रतिभा के विकास हेतु वार्षिक पत्रिका जागृति का सम्पानदन एवं प्रकाशन।
  • छात्रों के सर्वांगीण मूल्यांकन हेतु सतत् समीक्षात्मक पद्धति का प्रयोग।
  • शारीरिक, मानसिक, व्यावसायिक, नैतिक और आध्यात्मिक पंचमुखी शिक्षा व्यवस्था। विद्यालय का आगामी सत्र वर्तमान सत्र की समाप्ति के तुरन्त पश्चात प्रारम्भ होगा। विद्यालय में छात्रों का प्रवेश वरीयता क्रम के अनुसार लिया जायेगा। विस्तृत जानकारी हेतु विद्यालय कार्यकाल के अवधि में प्रधानाचार्य से सम्पर्क करें।
  • मितव्ययी व्यय में बालकों का पूर्ण विकास।
  • बालकों के चरित्र का इस ढंग से निर्माण कि वह कठिन काल में उनके जीवन की ज्योति तथा संबल बन सके।
  • ‘‘स्वस्थ शरीर में स्वस्थ आत्मा’’ के सिद्धांत के अनुसार सुगठित तथा निरोग शरीर रचना पर बल देना।
  • जीवन के प्रति कला और आनन्द की वृत्ति निर्माण के लिए सभी प्रकार की सुरूचियों तथा संस्कारों को जागृत करना।
  • बालकों में शिष्टाचार, सदाचार, सामाजिक भाव, राष्ट्रभक्ति तथा परस्पर सहयोग वृत्ति का विकास।